रघु वीर गद्यम् : ரகு வீர கத்யம் - (28- 32) / 97 அழிந்த அஸுரர்கள் !
28. दण्डका तपोवन जङ्गम पारिजात !
29. विराध हरिण शार्दूल !
30. विलुलित बहु - फल मख कलभ रजनि - चर मृग मृगया - आरम्भ संभृत चीर - भृत् अनुरोध !
31. त्रि - शिर: शिर: - त्रितय तिमिर निरास वासर - कर !
32. दूषण जल - निधि शोषण तोषित ऋषि - गण घोषित विजय घोषण !