रघु वीर गद्यम् : ரகு வீர கத்யம் - (58 - 60) / 97 இன்று போய் நாளை வா !
58. कटु - रटद् अटनि टङ्क्रुति चटुल कटोर कार्मुक विनिर्गत विशंकट विशिख विताडन विघटित मकुट विह्वल विश्रवस् - तनय विश्रम समय विश्राणन विख्यात विक्रम !
59. कुम्भकर्ण कुल - गिरि विदळन दम्बोळि भूत नि:शङ्क कङ्कपत्र !
60. अभिचरण हुतवह परिचरण विघटन सरभस परिवतद् अपरिमित कपि - बल जलधि - लहरि कलकल रव कुपित मघव - जित् अभिहनन कृत् अनुज साक्षिक राक्षस द्वन्द्व यूद्ध !
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