रघु वीर गद्यम् : ரகு வீர கத்யம் - (42 - 46) / 97 ஹனுமான் , சுக்ரீவன் , வாலி !
42. प्रभञ्जन तनय भावुक भाषित रञ्जित हृदय !
43. तरणि - सुत शरणागति पर - तन्त्री - कृत स्वातन्त्र्य !
44. धृढ - घटित कैलास कोटि विकट दुन्दुभि कङ्काळ कूट दूर विक्षेप दक्ष दक्षिण - इतर पाद - अन्गुष्ट दर - चलन विश्वस्त सुहृत् - आशय !
45. अति - पृथुल बहु विटपि गिरि धरणि विवर युगपत् - उदय विवृत चित्र - पुङ्ख वैचित्र्य
46. विपुल भुज शैल मूल निबिड निपीडित रावण रणरणक जनक चतु: उदधि विहरण चतुर कपि कुल पति हृदय विशाल शिला - तल दारण दारूण शिली - मुख !
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