Proximity of God men-Sanskrit subhashitam
*महाजनस्य संसर्गः, कस्यनोन्नतिकारकः।*
*पद्मपत्रस्थितं तोयम्, धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥*
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भावार्थ - *जिस प्रकार कमल के पत्ते पर पड़ी हुई पानी की बूँद मोती जैसी शोभा प्राप्त कर लेती है उसी प्रकार महापुरुषों का सामीप्य एवं सान्निध्य किसके लिये लाभदायक तथा उन्नतिकारक सिद्ध नही होता।*
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*Just as the drops of water lying on lotus leaves become like a pearl, so does the proximity of great men and proximity to them do prove to be beneficial and progressive.*
*महाजनस्य संसर्गः, कस्यनोन्नतिकारकः।*
*पद्मपत्रस्थितं तोयम्, धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥*
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भावार्थ - *जिस प्रकार कमल के पत्ते पर पड़ी हुई पानी की बूँद मोती जैसी शोभा प्राप्त कर लेती है उसी प्रकार महापुरुषों का सामीप्य एवं सान्निध्य किसके लिये लाभदायक तथा उन्नतिकारक सिद्ध नही होता।*
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*Just as the drops of water lying on lotus leaves become like a pearl, so does the proximity of great men and proximity to them do prove to be beneficial and progressive.*