Sanskrit subhashitam
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*यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं*
*तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।*
*वासो यथा रङ्गवशं प्रयाति*
*तथा स तेषां वशमभ्युपैति॥*
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भावार्थ : *कपड़े को जिस रंग में रँगा जाए, उस पर वैसा ही रंग चढ़ जाता है। उसी प्रकार सज्जन के साथ रहने पर सज्जनता तथा तपस्वी के साथ रहने पर तपश्चर्या का रंग चढ़ जाता है।*
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*The color in which the clothes are to be clipped, the same color goes on. Similarly, while living with the gentleman, gentlemanhood, and staying with the ascetic and ascetic, the penance.*
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*यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं*
*तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।*
*वासो यथा रङ्गवशं प्रयाति*
*तथा स तेषां वशमभ्युपैति॥*
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भावार्थ : *कपड़े को जिस रंग में रँगा जाए, उस पर वैसा ही रंग चढ़ जाता है। उसी प्रकार सज्जन के साथ रहने पर सज्जनता तथा तपस्वी के साथ रहने पर तपश्चर्या का रंग चढ़ जाता है।*
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*The color in which the clothes are to be clipped, the same color goes on. Similarly, while living with the gentleman, gentlemanhood, and staying with the ascetic and ascetic, the penance.*