Sanskrit subhashitam
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*प्राप्यापदं न व्यथते कदाचि-*
*दुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्तः।*
*दुःखं च काले सहते महात्मा*
*धुरन्धरस्तस्य जिताः सप्तनाः॥*
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*जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दुःखों को हँसते-हँसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते; वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर बिखर जाते हैं।*
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*The person who is never disturbed at the time of trouble, but keeps on working carefully. in the opposite circumstances, he laughs in grief; the enemy can not stand in front of them, they fly apart like a straw in the storm.*
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*प्राप्यापदं न व्यथते कदाचि-*
*दुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्तः।*
*दुःखं च काले सहते महात्मा*
*धुरन्धरस्तस्य जिताः सप्तनाः॥*
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*जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दुःखों को हँसते-हँसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते; वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर बिखर जाते हैं।*
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*The person who is never disturbed at the time of trouble, but keeps on working carefully. in the opposite circumstances, he laughs in grief; the enemy can not stand in front of them, they fly apart like a straw in the storm.*