Sanskrit subhashitam
*जरा रूपं हरति, धैर्यमाशा,*
*मॄत्यु: प्राणान्, धर्मचर्यामसूया।*
*क्रोध: श्रियं, शीलमनार्यसेवा,*
*हरियं काम:, सर्वमेवाभिमान:॥*
*जरा रूपं हरति, धैर्यमाशा,*
*मॄत्यु: प्राणान्, धर्मचर्यामसूया।*
*क्रोध: श्रियं, शीलमनार्यसेवा,*
*हरियं काम:, सर्वमेवाभिमान:॥*
वृद्धावस्था सुन्दरता का,
धैर्य इच्छाओं का,
मृत्यु प्राणों का,
धर्मं का आचरण अपवित्रता का,
क्रोध प्रतिष्ठा का,
चरित्र बुरी संगति का,
लज्जा काम का और
अभिमान सबका नाश कर देता है॥
धैर्य इच्छाओं का,
मृत्यु प्राणों का,
धर्मं का आचरण अपवित्रता का,
क्रोध प्रतिष्ठा का,
चरित्र बुरी संगति का,
लज्जा काम का और
अभिमान सबका नाश कर देता है॥
Old age destroys beauty, patience destroys desires, death destroys life, righteous conduct destroys impurity, anger destroys reputation, character destroys the company of bad people, shyness destroys sexual desires and pride destroys everything.
*आपका आज का दिन परम् प्रसन्नता से परिपूर्ण रहे, ऐसी शुभकामना *