Na coraharyam -Sanskrit subhashitam
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*न चोराहार्यम् न च राजहार्यम्, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।*
*व्यये कृते वर्धत एव नित्यं, विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥*
🎱🎱🎱🎱🎱🎱🎱🎱🎱🎱
*It cannot be stolen by thieves, nor can it be taken away by the kings. It cannot be divided among brothers, it does not have a weight. If spent regularly, it always keeps growing. The wealth of knowledge is the most superior wealth of all!*
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*जिसे न चोर चुरा सकते हैं, न राजा हरण कर सकता है, न भाई बँटा सकते हैं, जो न भार स्वरुप ही है, जो नित्य खर्च करने पर भी बढ़ता है, ऐसा विद्या धन सभी धनों में प्रधान है।*
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*न चोराहार्यम् न च राजहार्यम्, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।*
*व्यये कृते वर्धत एव नित्यं, विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥*
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*It cannot be stolen by thieves, nor can it be taken away by the kings. It cannot be divided among brothers, it does not have a weight. If spent regularly, it always keeps growing. The wealth of knowledge is the most superior wealth of all!*
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*जिसे न चोर चुरा सकते हैं, न राजा हरण कर सकता है, न भाई बँटा सकते हैं, जो न भार स्वरुप ही है, जो नित्य खर्च करने पर भी बढ़ता है, ऐसा विद्या धन सभी धनों में प्रधान है।*