Glory of diksha
Courtesy: Sri. Bharat chhatbar
*व्रतेन दीक्षामाप्नोति *
*दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्।*
*दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया* *सत्यमाप्यते॥ यजुर्वेद१९-३०॥*
शिव संकल्प (व्रत) से सदगुरु प्राप्त होते हैं । उनकी कृपा से अधिकार (दीक्षा) प्राप्त होता है । अधिकार से योग्यता (दक्षिणा) प्राप्त होती है । योग्यता आने से श्रद्धा उत्पन्न होती है और श्रद्धा से ही सत्य = परोक्ष ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है ।🙏🏻💐
By observing of discipline and vow one gains consecration. By consecration one comes to wealth and honour. By wealth and honour one gains faith and by faith can achieve knowledge of truth. (Yajurved 19-30)
Courtesy: Sri. Bharat chhatbar
*व्रतेन दीक्षामाप्नोति *
*दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्।*
*दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया* *सत्यमाप्यते॥ यजुर्वेद१९-३०॥*
शिव संकल्प (व्रत) से सदगुरु प्राप्त होते हैं । उनकी कृपा से अधिकार (दीक्षा) प्राप्त होता है । अधिकार से योग्यता (दक्षिणा) प्राप्त होती है । योग्यता आने से श्रद्धा उत्पन्न होती है और श्रद्धा से ही सत्य = परोक्ष ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है ।🙏🏻💐
By observing of discipline and vow one gains consecration. By consecration one comes to wealth and honour. By wealth and honour one gains faith and by faith can achieve knowledge of truth. (Yajurved 19-30)