Cloud and wealth-Sanskrit subhashitam
*कुत आगत्य घटते विघट्य क्व नु याति च |*
*न लक्ष्यते गतिः सम्यग्घनस्य च धनस्य च ||*
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*कुत आगत्य घटते विघट्य क्व नु याति च |*
*न लक्ष्यते गतिः सम्यग्घनस्य च धनस्य च ||*
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बादलों और धन-संपति के विषय में कि वे कहां से आते हैं और आने के पश्चात फिर कहां चले जाते हैं , तथा उनके आने तथा जाने की गति का सही अनुमान कभी भी नहीं लगाया जा सकता है |
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*No body can correctly guess as to from where the clouds and wealth will come and after having come where they will go. Further, the speed at which they will come and go is also uncertain.*