Darshanaadeva saadhava: -Sanskrit subhashitam
*न ह्मम्मयानि तीर्थानि *
*न देवा मॄच्छिलामया: |*
*ते पुनन्त्युरूकालेन*
*दर्शनादेव साधव: ||*
*न ह्मम्मयानि तीर्थानि *
*न देवा मॄच्छिलामया: |*
*ते पुनन्त्युरूकालेन*
*दर्शनादेव साधव: ||*
नदीयों का पवित्र जल या भगवान की मूर्ती के दर्शन मात्र से भक्त का मन शुद्ध नही होता अपितु लंबे समय ध्यान लगाने के बाद ही अंत:करण शुद्ध होता है। परन्तू संतों के केवल दर्शन मात्र से ही हम पवित्र हो जाते है।
The holy places of water and idols of gods made out of stone do not purify the devotees immediately. They purify men after a long-standing adoration. But saints do so by a mere sight (as soon as devotees see them).