ये केचिद् दु:खिता लोके
सर्वे ते स्वसुखेच्छया।
ये केचित् सुखिता लोके
सर्वे तेऽन्यसुखेच्छया॥
सर्वे ते स्वसुखेच्छया।
ये केचित् सुखिता लोके
सर्वे तेऽन्यसुखेच्छया॥
इस संसार में जो कोई भी दुखी हैं वे अपने सुख की इच्छा से ही दुखी हैं और इस संसार में जो कोई भी सुखी हैं वे दूसरों के सुख की इच्छा से ही सुखी हैं॥
Whosoever in unhappy in this world is due to their desire for their own happiness. Whosoever in happy in this world is due to their desire for the happiness of others.