Sanskrit subhashitam
*कपालं वृक्षमूलानि कुचैलमसहायता ।*
*उपेक्षा सर्वभूतानामेतावद्भिक्षुलक्षणम् ॥*
*आपका आज का दिन मंगलमय हो।*
*कपालं वृक्षमूलानि कुचैलमसहायता ।*
*उपेक्षा सर्वभूतानामेतावद्भिक्षुलक्षणम् ॥*
भावार्थ - *जो स्वयं को पूर्णतया प्रकृति को समर्पित करके वृक्षों के साये में विश्राम करे, जीवन यापन हेतु साधारण वस्त्र धारण करे, उदरपूर्ति हेतु टूटे हुए मिटटी के पात्र में भिक्षा ग्रहण करे एवम् किसी से कोई अपेक्षा न रखकर सबसे एक जैसा व्यवहार करते हुए लोक कल्याण में रत रहे, वही सच्चा सन्यासी है ।*
*Who devoted himself completely to nature, rested in the shadow of the trees, kept ordinary clothes for life, took a begging in the vessel of broken pot for the sake of the living, and behaved in a similar manner without Keeping any expectation from anyone.he is the true patriarch.*
*आपका आज का दिन मंगलमय हो।*