विदग्धा वाक्
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मं त्यजेन्नैव मा नो धर्मो हतोऽवधीत्॥
--नित्यनीतिः ३४
धर्म नाश किए जाने पर (कर्ता का वह) नाश करता है। धर्म की जो रक्षा करे उसकी (धर्म के द्वारा) रक्षा होती है। अतः कदापि धर्म को नहीं त्यागना चाहिए। नाश होने वाला धर्म हमारा विनाश न करे।
Dharma destroys him who destroys Dharma. Dharma does protect him who protects it. Dharma therefore should not be abandoned. That Dharma, which is going to perish shall not destroy us.
--Subhashitha Samputa, Bharatiya Vidya Bhavan
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मं त्यजेन्नैव मा नो धर्मो हतोऽवधीत्॥
--नित्यनीतिः ३४
धर्म नाश किए जाने पर (कर्ता का वह) नाश करता है। धर्म की जो रक्षा करे उसकी (धर्म के द्वारा) रक्षा होती है। अतः कदापि धर्म को नहीं त्यागना चाहिए। नाश होने वाला धर्म हमारा विनाश न करे।
Dharma destroys him who destroys Dharma. Dharma does protect him who protects it. Dharma therefore should not be abandoned. That Dharma, which is going to perish shall not destroy us.
--Subhashitha Samputa, Bharatiya Vidya Bhavan