*छिन्नोऽपि चंदनतरुर्न जहाति गन्धं,*
*वृध्दोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् l*
*यंत्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः,*
*क्षीणोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः ।।*
भावार्थ --- *चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता. उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना रहना पड़े l*
Even after cutting Chandan, do not leave your smell. The elephant does not leave his leela even after being old. The sugarcane does not leave its sweetness even after being squeezed. Similarly, a person born in a higher family does not leave his advanced qualities. No matter how much poverty he has to live in.
* सुप्रभातम् *
*वृध्दोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् l*
*यंत्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः,*
*क्षीणोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः ।।*
भावार्थ --- *चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता. उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना रहना पड़े l*
Even after cutting Chandan, do not leave your smell. The elephant does not leave his leela even after being old. The sugarcane does not leave its sweetness even after being squeezed. Similarly, a person born in a higher family does not leave his advanced qualities. No matter how much poverty he has to live in.
* सुप्रभातम् *